भारत विविधता में एकता वाला देश रहा है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जिसमें नाना प्रकार की जातियों और धर्मों के लोग निवास करते हैं। देश के अंदर तमाम तरह की सुचारू रूप से व्यवस्था बनाए रखने के लिए तमाम तरह के आंतरिक सुरक्षा बल और सीमा पर सुरक्षा बनाए रखने के लिए तमाम तरह की सुरक्षा एजेंसी काम कर रही हैं। ऐसा नहीं कि सरकार ने पहली बार अग्निपथ के तहत अग्निवीर सेना नाम से भारत के अंदर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की है। अग्निपथ योजना के तहत अगले 7 महीनों में 40000 इन अग्निवीर जवानों की भर्ती करने की घोषणा की है जिसको 4 साल के कार्यकाल के लिए अनुबंध के आधार पर यह भर्ती प्रक्रिया होगी । यह तो सही है कि यह प्रक्रिया देश के सभी 773 जिलों में चलाई जाएगी न्याय संगत भी है किंतु सेना में अनुबंध की प्रक्रिया पहली बार देखने को मिल रही है जोकि सरकार के इस फैसले को संदेह के घेरे में डालने की कोशिश की है।
सरकार की वास्तविक मंशा क्या है यह तो भविष्य के गर्भ में ही छिपी हुई है किंतु भर्ती प्रक्रिया के आवरण को देखकर यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि यह भर्ती प्रक्रिया सरकार की निजीकरण की मनसा को जाहिर करती है। क्योंकि उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों ने अग्निपथ योजना में से 4 साल के कार्यकाल के बाद सेवा मुक्त होने वाले अग्न वीरों को अपने यहां पुलिस सेवा में वरीयता देने का ऐलान किया है सीएम योगी सहित देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को घोषणा करनी चाहिए कि अग्निपथ से सेवा मुक्त होने वाले सभी अग्निवीरों को राज्य सरकार राज्य सुरक्षा एजेंसियों में स्थान प्रदान करेंगीं। यह उनकी जिम्मेदारी होनी चाहिए ताकि सेवा मुक्त अग्निवीर हताश निराश ना हो उसका घर चौपट ना हो लेकिन ऐसा नहीं है केवल मुख्यमंत्री द्वारा वरीयता देने की बात कहना विश्वास करने से परे है।
अग्निपथ के तहत अग्निवीर की सेना में भर्ती के माध्यम से कहीं ऐसा तो नहीं सरकार सेना क्षेत्र में निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है क्योंकि निजी करण लोकतंत्र के लिए बेहद घातक होता है लोकतंत्र का विरोधी होता है । इसलिए केंद्र सरकार को नई भर्ती प्रक्रिया या नामकरण से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की वजाय वर्तमान में जो सैन्य व्यवस्थाएं हैं उसी के तहत नये सैनिकों की भर्ती शुरू करें चाहे संख्या 40000 के स्थान पर 20000 ही हो। तो वह फैसला बेहद जनहित में होगा और जनकल्याणकारी फैसला भी कहलाएगा किंतु वर्तमान में अग्निपथ के तहत अग्निवीरों की भर्ती निजीकरण की प्रक्रिया की ओर इशारा कर रही है इसलिए यह लोकतंत्र के अनुरूप प्रक्रिया भी नहीं लग रही है ।
मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह यदि अग्निपथ के तहत अग्निवीरों की भर्ती ही करनी चाहती है तो उसे एक बार अग्निवीर के रूप में भर्ती हुए सैनिक को जिंदगी भर का मौका देना चाहिए यदि ऐसा नहीं होता है तो सैनिक अनुबंध के बाद आत्महत्या या आतमकुंठा या मनोरोग या पारिवारिक टेंशन या पारिवारिक विघटन या सामाजिक उत्पीड़न का शिकार होगा जिसके लिए सरकार ही दोषी होगी इसलिए सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत अग्निपथ प्रक्रिया को अपनाएं तो वह फैसला लोकतंत्र के हित में होगा जन कल्याणकारी होगा और लोक कल्याणकारी भी होगा।
लेखकसत्य प्रकाशप्राचार्यडॉक्टर बी आर अंबेडकर जन्म शताब्दी महाविद्यालय धनसारी अलीगढ़
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