"ख़ुआर हुए सब मिलेंगे" लहर के अंतर्गत दिल्ली की सिंह सभाओं द्वारा विभिन्न गुरमत समागम आयोजित

By: Dilip Kumar
6/19/2025 6:03:57 PM
अमृतसर

कुलवंत कौर के साथ बंसी लाल की रिपोर्ट। श्री अकाल तख्त साहिब की छत्रछाया में चल रही सिख धर्म प्रचार लहर "ख़ुआर हुए सब मिलेंगे" के तहत दिल्ली की सिंह सभाओं द्वारा शहर में दो दिन तक विभिन्न गुरमत समागम आयोजित किए गए। इन समागमों में श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गरगज ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने गुरुद्वारा श्री सीसगंज साहिब (नौवें पातशाह जी के शहादत स्थल), गुरुद्वारा श्री रकाबगंज साहिब और गुरुद्वारा श्री बांग्ला साहिब में माथा टेका। इन पवित्र स्थलों पर उन्हें दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और प्रमुख ग्रंथियों द्वारा सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। उन्होंने गुरुद्वारा सीसगंज साहिब में जूतों की सेवा और बांग्ला साहिब में छबील सेवा करते हुए संगत को जल भी पिलाया।

- जत्थेदार गरगज ने दिल्ली की संगत को एकजुट रहकर सिख शक्ति को मजबूत करने और श्री अकाल तख्त साहिब को समर्पित रहने का संदेश दिया

- सिखों के किसी भी गुरुद्वारे या तख्त पर सरकार का कोई हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं – जत्थेदार गरगज

जत्थेदार गरगज के दिल्ली आगमन पर विभिन्न गुरुद्वारा समितियों – गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा विकासपुरी, मोती नगर, उधे विहार-चंदर विहार और कलगीधर खालसा सेवक सभा सुभाष नगर – ने मिलकर गुरमत समागम आयोजित किए। ये समागम श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के प्रकाश पर्व, श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना दिवस और श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी व उनके शहीद साथियों की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित रहे। बड़ी संख्या में स्थानीय संगत ने इसमें भाग लिया और जत्थेदार के विचारों को सुना।

समागमों को संबोधित करते हुए जत्थेदार गरगज ने संगत को एकजुट होकर सिख शक्ति को मजबूत करने और श्री अकाल तख्त साहिब को समर्पित रहने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि सिखों ने हमेशा चुनौतियों को गुरुओं से प्रेरणा लेकर पार किया है, अतः हमें गुरबाणी, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी और श्री अकाल तख्त साहिब से जुड़े रहना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि खालसा पंथ एक परिवार है, और सभी सिख आनंदपुर साहिब के वासी हैं – इसलिए किसी प्रकार की विभाजन की भावना नहीं होनी चाहिए।

जत्थेदार गरगज ने यह भी अपील की कि सिख परिवार अपने बच्चों के नामों के साथ सिंह और कौर ज़रूर जोड़ें और पूरे नामों को ही प्रचारित करें। उन्होंने चिंता जताई कि दिल्ली में कुछ युवा नशे और नाच-गानों की बार संस्कृति की ओर जा रहे हैं, जो गुरु मर्यादा के विपरीत है। उन्होंने संगत को सिख इतिहास, शहीदियों और मर्यादा की याद दिलाई, विशेषकर दिल्ली की धरती पर हुए महान बलिदानों की।

जत्थेदार ने सिख माता-पिताओं से अपील की कि वे अपने बच्चों को गुर इत्यास और साखियों से परिचित कराएं और धार्मिक प्रतीकों की रक्षा करें। उन्होंने धार्मिक प्रचार को और अधिक तीव्र करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि कौम को किसी भी सांसारिक तख्त की ओर नहीं, बल्कि गुरु की ओर मुख करना चाहिए।

उन्होंने संगत को खंडे बाटे की अमृत पान कर सच्चे खालसे बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने याद दिलाया कि अंग्रेज सरकार ने गुरुघरों में दखल दिया था, पर सिखों ने चाबियाँ वापिस लेकर अपनी शक्ति सिद्ध की थी। आज भी अगर किसी रूप में गुरुघरों की चाबियाँ छीनी जा रही हैं तो उससे सावधान रहने की आवश्यकता है। गुरुद्वारों का प्रबंधन पंथक भावना के अनुसार होना चाहिए, न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप के तहत।

अंत में जत्थेदार गरगज ने दिल्ली में इन समागमों के सफल आयोजन हेतु समस्त गुरुद्वारा प्रबंधकों और प्रमुख व्यक्तित्वों का धन्यवाद प्रकट किया।


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