भद्रेश्वरनाथ शिवलिंग : रावण से जुड़ा है नाता

By: Dilip Kumar
7/23/2019 3:22:18 PM
नई दिल्ली

बस्ती मुख्यालय से 8 किमी दूर। बाबा भद्रेश्वर नाथ का धाम है। कुआनों नदी तट पर स्थित यह शिव मंदिर प्राचीन महात्मय को समेटे हुए है। ङ्क्षकवदंति है कि त्रेताकाल में यह स्थल भद्रेश जंगल नाम से प्रसिद्ध था। रावण ने इस जंगल में विश्राम किया था। भगवान शिव की आराधना के लिए उसने ही यहां शिवङ्क्षलग की स्थापना की थी। कालांतर में एक पुजारी को स्वप्न में भद्रेश जंगल में शिवङ्क्षलग होने का स्वप्न दिखा। तभी से यह सर्वविदित हुआ।

वर्तमान समय में मंदिर परिसर काफी विशाल है। इस शिवालय की मान्यता सदियों से है। प्रत्येक सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का यहां तांता लगा रहता है। श्रावण मास के तेरस के दिन तो बाबा भद्रेश्वर नाथ धाम सीधे भगवान राम की नगरी अयोध्या से जुड़ जाता है। कांवर भक्त पवित्र सरयू के तट से इस धाम तक नंगे पांव जल लेकर आते हैं। जिससे तीन दिनों तक गेरूआधारी श्रद्धालुओं की कतार अयोध्या से बाबा भद्रेश्वर नाथ मंदिर तक लगी रहती है।

महाशिवरात्रि पर्व पर यह स्थल आस्था की नगरी बन जाता है। आस-पास के गांवों, कस्बों से लगायत दूर दराज तक के शिवभक्त यहां जलाभिषेक के लिए आते हैं। मंदिर के गर्भ गृह से लेकर समूचे परिसर में श्रद्धा का कुंभ लग जाता है। भोर से ही जलाभिषेक और पूजन अर्चन का दौर शुरू होता है, देर शाम तक यह सिलसिला बना रहता है। 


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