दक्षेस्वर महादेव मंदिर: ससुराल से ब्रह्मांड की सत्ता चलाते हैं शिव

By: Dilip Kumar
7/22/2019 1:35:34 PM
नई दिल्ली

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव हरिद्वार के कनखल स्थित दक्ष मंदिर में विराजते हैं। इसे उनकी ससुराल माना जाता है। भगवान शिव ने अपने ससुर दक्ष प्रजापति का सिर जब धड़ से अलग कर दिया था तो सभी देवताओं के आग्रह पर उन्होंने राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाकर पुनर्जीवन दिया था। इसके बाद राजा दक्ष के आग्रह पर ही उन्होंने वचन दिया था कि साल में एक बार सावन के महीने में वह कनखल में ही विराजेंगे। तब से सावन में शिव कनखल में ही रहकर पूरी सृष्टि का संचालन करते हैं।

इसी कारण यहां पर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए हर साल भक्तों की भीड़ उमड़ती है। राजा दक्ष की पुत्री सती से वे इसी नगरी में ब्याहे गए थे। भगवान शंकर और भगवान ब्रह्मा का सीधा रिश्ता इसी नगरी में बना था। राजा दक्ष वास्तव में ब्रह्मा के पुत्र थे। सावन के इस पवित्र महीने में हर की पैड़ी के जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक करने का भी महत्व है। हर की पैड़ी ही वह स्थान है जहां पर समुद्र मंथन से निकले अमृत की बूंद गिरी थी। इसलिए शिव को वहां के गंगाजल से अभिषेक करने से प्रसन्नता मिलती है।

वायु पुराण में भी मिलता है मंदिर का वर्णन

वैदिक मान्यता है कि भगवान शंकर सावन के पूरे महीने अपने ससुराल कनखल में निवास करते हैं। कनखल में उनके प्रवास के दौरान सभी देवी-देवता, गन्धर्व, पक्ष, नवग्रह परशाक्तियाँ और सभी शिवगण भगवान शंकर के साथ पृथ्वी पर आते हैं। जहाँ दक्ष का यज्ञ कुंड था वहीँ पर दक्षेश्वर महादेव का निर्माण करवाया गया है। यह मान्यता है कि आज भी यज्ञ कुंड मंदिर में अपने नियत स्थान पर ही स्थित है, जहाँ उस समय था। मंदिर के ही नजदीक गंगा किनारे दक्षा घाट स्थित है। मंदिर में जाने से पहले भक्त यहीं स्नान करते हैं। इसका वर्णन वायु पुराण में भी मिलता है।

 


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