जितेंद्र सिन्हा का कॉलम : आयोग द्वारा मीडिया, राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के लिए जारी हुआ दिशा निर्
By: Dilip Kumar
3/14/2024 9:09:34 PM
कोई भी समाचार धर्म, जाति, लिंग, वर्ग, समुदाय के आधार पर किसी की भावना को ठेस पहुंचाने वाला, राष्ट्र की एकता और अखंडता को प्रभावित करने वाला एवं अन्य देशों से संबंध बिगड़ने वाला समाचार प्रसारित नहीं किया जाएगा। ऐसा पाए जाने पर संबंधित मीडिया/एजेंसी के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अन्तर्गत सुसंगत धाराओं में सख्त कार्रवाई की जाएगी। लोकसभा आम चुनाव के दौरान प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा सचेत किया गया है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी मार्ग निर्देशन में बताया गया है कि किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी के अप्रत्याशित रूप से बढ़ा-चढ़ाकर एवं आवश्यकता से अधिक स्थान, समय प्रदान कर समाचार प्रसारित या प्रकाशित किए जाने पर पेड न्यूज माना जायेगा और इसके लिए संबंधित प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मोडिया को नोटिस जारी की जाएगी। प्रिंट, इलेक्ट्रानिक मोडिया से संतोषप्रद उत्तर प्राप्त नहीं होने पर उनके विरुद्ध अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी। इस मद में हुए व्यय को डीएवीपी दर पर संबंधित राजनीतिक दल, अभ्यर्थी के खाते में जोड़ दिया जायेगा।
सूत्रों के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से राज्य स्तर पर प्रसारित किए जाने वाले विज्ञापन, राज्य स्तरीय एमसीएमसी कमेटी से तथा जिला स्तर पर प्रसारित किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक विज्ञापन जिला स्तरीय एमसीएमसी से प्रमाणित करवाना अनिवार्य होगा। इसके लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी विहित प्रपत्र में अपना आवेदन चार दिन पूर्व फॉर्म में (96 घण्टे पूर्व) प्रचार सामग्री इलेक्ट्रॉनिक के साथ उपलब्ध कराना होगा। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से यदि जिला स्तर पर कोई विज्ञापन प्रसारित किया जा रहा है वह राज्यस्तरीय या केन्द्रस्तरीय एमसीएमसी कमेटी से प्रमाणित है तो उसकी सूचना जिला निर्वाचन पदाधिकारी को उपलब्ध कराना होगा। इसके लिए ज़िला मीडिया कोषांग को जानकारी उपलब्ध करा दी जाए। मतदान तिथि या उसके एक दिन पूर्व यदि कोई विज्ञापन प्रिंट मीडिया में प्रकाशित कराया जाता है तो वह विज्ञापन केन्द्रस्तरीय, राज्यस्तरीय या जिलास्तरीय एमसीएमसी कमेटी से करवाना अनिवार्य होगा।
निर्वाचन के दौरान मतदाताओं को दिग्भ्रमित करने के लिए फेक न्यूज, डीप फेक न्यूज (3) का प्रसारण किया जाता रहा है। उदाहरण स्वरूप ईवीएम में छेड़छाड़ किया जा रहा है। किसी खास प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करवाया जा रहा है। वैलेट पेपर में प्रत्याशी का सही नाम नहीं है। किसी जाति विशेष के मतदाताओं को मतदान करने नहीं दिया जा रहा है। किसी खास वर्ग के मतदाता को मतदान करने से रोका जा रहा है। मतदान केन्द्र पर किसी खास प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर्मी द्वारा मतदान कराया जा रहा है। प्रतिनियुक्त पुलिस, सैन्य बल द्वारा किसी खास प्रत्याशी को मतदान करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। किसी धर्म, जाति विशेष के लोगों को मतदान करने से रोका जा रहा है। ईवीएम सही से काम नहीं कर रहा है। वीवीपीएटी में सही पर्ची नहीं दिख रहा है। मतगणना में धांधली की जा रही है। पूर्व के किसी घटना का वीडियो क्लिप एवं फोटो वर्तमान से जोड़कर डीप फेक न्यूज प्रसारित करने की घटना पूर्व के चुनावों में सामने आई है, जिसमें सख्त कार्रवाई भी की गई है। इस तरह के फेक न्यूज के लिए संबंधित संवाददाता के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।
आईटी एक्ट की धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई धारा 67- यदि अश्लील सामग्रियों का संरक्षण या प्रसारित इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में किया जाता है तो इस धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें 3 साल तक का कैद एवं जुर्माना या दोनों से दड़ित किया जाता है। धारा 69- यह धारा सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में किसी भी कप्यूटर स्रोत द्वारा सृजित, संचारित, भंडारित सूचना के स्त्रोत तक पहुंचने की शक्ति प्रदान करती है। इसके लिए सरकारी अधिकारी को दोषमुक्त रखा गया है।