Dailynewsonline
  • home
  • state
      • Andhra Pradesh
      • Arunachal Pradesh
      • Assam
      • Bihar
      • Chandigarh
      • Chhattisgarh
      • Delhi
      • Goa
      • Gujarat
      • Haryana
      • Himachal Pradesh
      • Jammu and Kashmir
      • Jharkhand
      • Karnataka
      • Kerala
      • Madhya Pradesh
      • Maharashtra
      • Manipur
      • Meghalaya
      • Odisha
      • Pondicherry
      • Punjab
      • Rajasthan
      • Sikkim
      • Tamil Nadu
      • Telangana
      • Tripura
      • Uttar Pradesh
      • Uttarakhand
      • West Bengal
  • world
  • Business
    • Industry
    • Small Biz
    • BusinessIcon
    • Others
  • Entertainment
    • Bollywood
    • Hollywood
    • Television
    • MovieReviews
    • Tollywood
    • Others
  • Sports
    • Cricket
    • Football
    • Hockey
    • Kabaddi
    • LocalSports
    • Others
  • Carrer
    • Admission Alert
    • Jobs
    • Expert Tips
    • Success Stories
    • Others
  • Religion
    • Dharm Sansad
    • Pilgrimage
    • Festivals
    • Horoscope
    • Others
  • Lifestyle
    • Fashion
    • Food
    • Health
    • Travel
    • Technology
    • Others
  • Opinion
    • Editorial
    • Columnists
    • Readers Mail
    • Others

समीक्षक : प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन- लहू बोलता भी है 

By: Dilip Kumar
8/4/2025 2:38:33 PM

सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की किताब का टाइटल ‘लहू बोलता भी है’ पढ़कर शुरू में अटपटा सा लगा, क्‍योंकि लहू खौलता है, लहू बहता है, लहू के निशान है, वगैरहा-वगैरहा के जुमले, अक्‍सर सुनने और पढ़ने को मिलते रहे है मगर लहू बोलता भी है पहली बार पढ़ने को मिला। 477 पन्‍ने की इस किताब को पढ़कर समझ में आया कि वाकई में यह सुर्खी बहुत ही मौजू है। दरअसल इस किताब के ज़रिये शाहनवाज कादरी ने उस तंजीम, ज़हनियत साजिश, प्रचार के जिसमें हिंदुस्‍तान के मुसलमानों को मूल्‍क का गद्दार सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है, उसका माकूल जवाब, जबानदराजी, तल्‍ख़ी या गप्‍पबाज़ी से नहीं तबारिख के पन्‍नों को सबूत के साथ पेश कर दिया है। आज की हक़ीक़त है कि जब से भाजपा गद्दी नशीन हुई है उसकी सियासत का सारा ताना बाना हिंदू-मुस्लिम नफ़रत की बिना पर टिका है। वजीरे आजम मोदी ने अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत ही श्‍मशान बनाम कब्रिस्‍तान से शुरू की थी। हिंदू-मुस्लिम हिंदुस्‍तान पाकिस्‍तान उसका मुख्‍य एजेंडा है। कादरी ने किताब की शुरुआत में ही यह किताब क्‍यों है? में अपने मकसद को स्‍पष्‍ट करते हुए लिखा :

“हिंदुस्‍तान की आज़ादी के ..... साल पूरे हो चुके है इतने अरसे बाद भी उन हिंदुस्‍तानी मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जा रहा है जिन्‍होंने इस मुल्‍क की मिट्टी की मौहब्बत में मौतबादिल (विकल्‍प) रहते हुए भी अपनी खुशी से अपना वतन माना और यहाँ रहना पसंद किया था। मुल्‍क के लिए उनकी ही वफादारी पर उंगलियां उठाई जा रही है और वह भी किसके ज़रिये जिनका मुल्‍क को आज़ादी के लिए सौ साल तक चले मुसलसल, जद्दोजहद में कहीं नामोनिशान नहीं था। इस किताब के जरिये मेरी कोशिश है कि हमारा मुल्‍क कौमी एकजहती भाई-चारे मेल मिलाप और मुल्‍क में रहने वालों के तमाम मजाहिब का एहतराम (सभी धर्मों का सम्‍मान) करते हुए आगे बढ़े और तरक्‍की को जिसके ख्‍वाब हमारे शहीददाने वतन ने देखे थे।” अक्‍सर यह हुआ है कि मीनार के क्‍लश को तो हर कोई पहचानता है मगर नींव के पत्‍थर गुमनामी में पड़े रहते हैं। हिंदुस्‍तान की जंगे आज़ादी के इतिहास में मौलाना अब्‍दुल कलाम आज़ाद, अशफाकुल्‍ला खान, हकीम अजमल खाँ, मौलाना हसरत मौहानी, अब्‍बास तैय्यवी, डॉ॰ अंसारी, मौलाना अब्‍दुल बारी जैसे नेताओं के नाम और कुर्बानी से तो सभी वाकिफ़ है, परंतु कुर्बानी का इतिहास यही खत्‍म नहीं होता, कादरी ने गुमनामी में पड़े 1192 मुस्लिम देशभक्‍तों की कुर्बानी के लोमहर्षक इतिहास को सबूतों की बिना पर कलमबंद किया है।

इस काम को पूरा करने के लिए कादरी ने जो खाक छानी, हिंदुस्‍तान की मुत्‍तलिफ लायब्रेरियों, मर्कजों, तंजीमों और लोगों से व्‍यक्तिगत राफ्ता कायम किया वह कोई मामूली काम नहीं है। हालाँकि यह किताब लिखी तो गई थी, मुस्लिम देश भक्‍तों के इतिहास को सामने लाने के लिए, मगर इसमें 1857 से 1947 की जंगें-आज़ादी के मुकम्‍मल इतिहास को भी उजागर किया गया है। 1857 की जंगे आज़ादी को अंग्रेजों ने हालाँकि सिपाही विद्रोह या गदर का नाम दिया था, लेकिन यह जंगे आज़ादी ही थी ..... इसकी शुरुआत की तफ़सील को लिखते हुए कादरी बताते है –फजले हक खैराबादी ने सबसे पहले दिल्‍ली की जामा मस्जिद से अंग्रेजों के खिलाफ़ जेहाद का फतवा और खुद बहादुर शाह जफर के साथ मिलकर इस जंग को परवान चढ़ाया। इस फतवे के बाद पूरे मुल्‍क का मुसलमान सड़कों पर उतरकर अपनी-अपनी पहुँच के मुताबित जंगे आज़ादी में हिस्‍सा लेने के लिए बेताब दिखाई देने लगा। मुल्‍क का ज्‍यादातर हिस्‍सा जंग का मैदान नज़र आने लगा।

जंग काबू करने के लिए अंग्रेजों ने आम अवाम को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया। अंग्रेज़ इतिहासकार लिखते है कि सन् 1857 के बाद ब्रिटिश हुकूमत ने अपने नुमाइन्‍दे डॉ॰ विलियम से यहाँ के हालात के बारे में मालूम किया। जवाब में विलियम ने जो लिखा वह यह है कि हिंदुस्‍तान में मुसलमान बहुत ज्‍यादा बेदार हैं। जंगे आज़ादी 1857 में सिर्फ़ मुसलमानों की वजह से ब्रिटिश हुकूमत को इतना बड़ा जानी और माली नुकसान उठाना पड़ा मौज़ूद वक्‍़त में हम मुसलमानों पर आसानी से हुकूमत नहीं कर सकते। इनके दिलों-दिमाग से जेहाद का जज्‍बा खत्‍म करना ज़रूरी है। मिस्‍टर थामसन के मुताबिक ब्रिटिश हुकूमत ने हिंदुस्‍तान से उलेमाओं को खत्‍म करने की गरज से 14000 उल्माओं को मौत की खोफ़नाक सजाएं दीं। थामसन ने कबूल किया कि दिल्‍ली की चाँदनी चौक से खैबर तक जी॰ टी॰ रोड़ पर कोई ऐसा पेड़ नहीं था जिस पर कि उलेमाओं को लटकाकर फाँसी नहीं दी गयी हों।

थामसन के कबूलनामें यह भी जिक्र है कि मौलानाओं को तांबे से दागा जाता, फिर सूअर की खाल लपेट कर आग में जिंदा जला दिया जाता, लाहौर की शाही मस्जिद के सहन में, जो अंग्रेज़ फौज के कब्‍जे में थी। फाँसी के 80 फंदे बनाए गए थे। जिस पर हर दिन 80 मौलवियों को लटकाया जाता था और उनकी लाशों को रावी नदी में फैंक दिया जाता था । थामसन जब दिल्‍ली के किले जहाँ अँग्रेज़ी फौज का बैरक था के पीछे बदबू सूंघकर चला गया और देखा कि आग दहक रही है और 40 उलमाओं को निर्वस्‍त्र करके टांगा गया है। अंग्रेजों का गुस्‍सा इस जंगे आज़ादी में शामिल मुजाहीदीन और सिपाहियों तक ही महदूद नहीं था बल्कि उनके रिश्‍तेदारों औरतों व बच्‍चों तक को गिरफ्तार करके लालकिले के खूनी दरवाज़े (ब्लडीगेट) से बाहर निकलने को कहा गया। लेकिन बाहर निकलते वक्‍त उन्‍हें गोलियों से भून दिया गया जबकि बचे हुए लोगों को तोप से उड़ा दिया।
कादरी ने एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण घटना का जिक्र करके इस बात को दिखाया है कि अपने वतन से बाहर किसी मुसलमान का कोई मुकाम नहीं है।

“कुछ लोगों ने हिजरत की तहरीक शुरू कर दी जिसके तहत कुछ लोग अपना घर बार छोड़कर अफगानिस्‍तान हिजरत करने लगे। हिजरत की वजह से खिलाफत आंदोलन में लगे उलमाओं और कांग्रेस के मुस्लिम रहनुमाओं को सदमा लगा। मौलाना अब्‍दुल कलाम आज़ाद ने 20 जुलाई को उर्दू अख़बार अलहदीस (अमृतसर) में एक फतवा शाया कराया। नतीजन अफगानिस्‍तान गए ज्‍यादातर लोग फिर वापिस अपने मुल्‍क में अपने घरों पर आ गये। इन हालात का तशकिरा करते हुए काजी अदील अब्‍बासी ने तहरीक के खिलाफत में पेज-130 पर लिखा है कि आज़ाद के फतवे के बाद रफ्ता-रफ्ता सब लोग बहुत कुछ खोकर वापस आ गये। कुछ हासिल न हुआ सिर्फ़ तबाहियां व बर्बादियां। मुसलमाने-हिंद को एक दायमी सबक दे गई कि उनके लिए अपने वतन से बाहर कोई गुंजाइश नहीं है। इस किताब में मुसलमानों द्वारा मुखतलिफ जमातो, तंजीमो, मर्कजो के ज़रिये वक्‍त बे वक्‍त, अँग्रेज़ी सल्‍तनत के खिलाफ़, जो मुहीम, जद्दोजहद 90 साल में की गई उसका सिलेसिलेवार बड़ी तफसील तथा उन आंदोलनों का इतिहास बखूबी उकेरा गया है कादरी ने उन आंदोलनों का जिक्र करते हुए उसकी पहचान और नामों का इतिहास लिखा है। जैसे–

1 फकीर आंदोलन, 2 पागल पंथी आंदोलन, 3 करबंदी आंदोलन, 4 मुबारिजू द्दौला की बगावत 5 वलीउल्‍लाही आंदोलन, 6 नीलबगान आंदोलन, 7 असहयोग आंदोलन, 8 अहरार मूंवमेंट, 9 भारत छोड़ो आंदोलन, 10 मोपला आंदोलन, 11 वहावी मूवमेंट, 12 खिलाफत आंदोलन, 13 रेश्‍मी रुमाल तहरीक, 14 गदर मूवमेंट, 15 खुदाई खिदमतगार मूवमेंट, 16 स्‍वदेशी आंदोलन, 17 होमरूल मूवमेंट, 18 मेरठ बगावत के एक महीने बाद, 19 बिहार शरीफ-नवादा बगावत, 20 गया में नजीबों और सिपाहियों का बगावत, 21 चम्‍पारण बगावत, 22 मुजफ्फरपुर बगावत, 23 जमात-ए-उलमा-ए-हिंद और उलमाओं के आंदोलनख, 24 आल जम्‍मू एण्‍ड कश्‍मीर मुस्लिम काफ्रेंस, 25 अंजुमने-वतन बलुचिस्‍तान, वगैरहा वगैरहा। हालाँकि इस किताब का मकसद, आज़ादी की जंग में मुसलमानों की कुर्बानियों को उजागर करना है परंतु कादरी एक ओर महत्त्वपूर्ण मुद्दे की ओर भी पाठक का ध्‍यान खींचते हैं। वो लिखते है कि जंगे आज़ादी की कहानी में इतिहासकारों ने सिर्फ़ फिरकापरस्‍ती की बुनियाद पर ही नहीं बल्कि ख्‍यालाती (वैचारिक) नज़रिये से भी भेदभाव किया है। इसकी नजीर देते हुए वो डॉ॰ राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्‍द्रदेव और जयप्रकाश नारायण जिनका भी कद आंदोलन की पहली कतार के नेताओं से अगर बड़ा नहीं तो कम भी नहीं था परंतु इतिहास की किताबों में जो जगह उनको मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली।

किताब का सबसे मार्मिक वर्णन मुल्‍क के बंटवारे के बाद दिल्‍ली में आजादी का जब जश्‍न मनाया जा रहा था तो वहाँ गांधी जी मौज़ूद नहीं थे। जब गांधी जी को जश्‍न में शामिल होने का दावतनामा दिया गया तो उन्‍होंने कहा कि “जिसका जिस्‍म कटता है, वह खुशी नहीं मनाता। इसलिए मुझे इन बेसहारा लूले-लंगड़े और अंधों (दंगों के शिकार) के पास ही रहने दो। मेरी खुशी और जश्‍न यही लोग है।” कादरी अपनी किताब में हिंदुस्‍तान-पाकिस्‍तान बंटवारे की पूरी तफसील का जिक्र करते है परंतु उस मौके पर उनसे भी और इतिहासकारों की तरह चूक होती है। बंटवारे के प्रस्‍ताव पर कांग्रेस पार्टी की बैठक में महात्‍मा गांधी, खान अब्‍दुल गफ्फार खान, जयप्रकाश नारायण, डॉ॰ लोहिया बंटवारे का विरोध करते हैं उसको कलमबंद करना कादरी भूल जाते हैं। इस किताब की एक बहुत बड़ी खूबी इस बात में है कि देवनागरी लिपि में लिखी गई किताब को हिंदी भाषी भी पढ़ सकता है तथा फ़ारसी अल्‍फाजों तथा लहजे की बिना पर उर्दू जानने वाला बिना किसी दिक्‍कत के इसको समझ सकता है। हिंदी-उर्दू की मिलीजुली हिंदुस्‍तानी भाषा के कारण इसकी व्‍यापकता बहुत बढ़ गई है। इस किताब से मेरी एक शिकायत भी है कि इसकी जिल्‍दसाजी इतनी कमज़ोर है कि पंखे के नीचे पढ़ने पर इसके पन्‍नों के शिराजे बिखर जाते हैं। शाहनवाज कादरी के साथ इनके एक सहयोगी लेखक कृष्‍ण कल्कि भी है उनका अलग से लिखा गया लेख “मुस्लिम हिस्‍सेदारी को नज़रअंदाज़ करने की जेहनियत” पढ़ने पर ‘गागर से सागर’ वाली कहावत आँखों के सामने आ जाती है।

बाहरी रूप में यह किताब मुसलमानों की कुर्बानियों को उजागर करती नज़र आएगी। मगर इसके लेखक महज एक विद्वान् तक ही सीमित न होकर, इन्‍कलाबी, मुल्‍कपरस्‍त, सोशलिस्‍ट तहरीक में पूरी मुस्‍तैदी के साथ शिरकत करने वाले रहे हैं। सोशलिस्‍ट नेता राजनारायण जी की शार्गिदी के कारण फ़र्क के साथ लोकबंधु राजनारायण के लोग मिशन चलाते हैं। मुझे भी दो बार इनके साथ जेल जाने का मौका मिला है। पहली बार बीएचयू के छात्रों द्वारा दिल्‍ली में राष्‍ट्रपति भवन के घेराव के सिलसिले में तिहाड़ जेल में बंदी जीवन तथा शिमला के रिज मैदान पर जम्‍हूरियत में बराबरी के हकूक को लेकर किये गये प्रदर्शन पर गिरफ्तार होकर हिमाचल की नहान जेल का कारावास, इस किताब में कहीं भी गलतबयानी, कौम परस्‍ती, तरफदारी की बू नज़र नहीं आती। यह इस किताब की ये सबसे बड़ी खूबी है।


related topics

भगवान विष्णु पर टिप्पणी और चुप्पी का प्रश्न

9/19/2025 9:47:44 PM

भारतीय लोकतंत्र में न्यायपालिका सर्वोच्च संस्था मानी जाती है। सर्वोच्च न्यायालय के मुख ..Read More

प्रदीप कुमार का आलेख : वृंदावन में शराबबंदी-पवित्र धाम की पवित्रता की रक्षा का समय

8/9/2025 6:46:24 PM

वृंदावन में हर गली, हर घाट, हर मंदिर राधा-कृष्ण के नाम से गूंजता है। भजन-कीर्तन की धुन ..Read More

सत्य प्रकाश का कॉलम : शिक्षा क्षेत्र की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता 

8/4/2025 3:29:17 PM

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। शिक्षा मानव को मानवता व इन्सानियत के मार्ग ..Read More

समीक्षक : प्रोफ़ेसर राजकुमार जैन- लहू बोलता भी है 

8/4/2025 2:38:33 PM

सैय्यद शाहनवाज अहमद कादरी की किताब का टाइटल ‘लहू बोलता भी है’ पढ़कर शुरू म ..Read More

दिलीप कुमार का कॉलम : संविधान के चार स्तंभों की चुप्पी-ब्राह्मण समाज पर हमला क्यों?

7/20/2025 1:05:51 AM

भारत के लोकतंत्र की नींव चार मजबूत स्तंभों पर टिकी है—विधायिका, कार्यपालिका, न्य ..Read More

दिलीप कुमार का कॉलम : कांवड़ यात्रा-आस्था के महापर्व को बदनाम करने की साजिश

7/20/2025 12:42:02 AM

सावन का महीना आते ही उत्तर भारत की सड़कों पर भगवा रंग का एक सैलाब उमड़ पड़ता है। ये को ..Read More

प्रोफेसर राजकुमार जैन का कॉलम : जाकिर हुसैन केवल एक तबला नवाज ही नहीं थे

7/14/2025 3:37:00 PM

उनके इंतकाल की खबर से बेहद तकलीफ हुई।। हमारे वक्त का यह फनकार केवल बेजोड़ कलाकार ही नह ..Read More

दिलीप झा का कॉलम : औपनिवेशिक थ्योरी की विदाई- आर्य हैं भारत की आत्मा

6/22/2025 10:43:15 PM

आर्य और अनार्य का विमर्श केवल एक ऐतिहासिक प्रश्न नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, समाज और ..Read More

महेश चन्द्र मौर्य का कॉलम : आधुनिक भारत के निर्माता प० जवाहर लाल नेहरू

5/28/2025 3:14:45 PM

भारत में प० जवाहरलाल नेहरू को आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंन ..Read More

comments
sponsored advert
Social Corner
  • recent
  • sports
  • career
  • MATTER unveils “The 22nd Century Smart Ownership Plans” this Diwali

    10/13/2025 5:11:50 PM
    Bhubneshwar
  • क्रिश्चियन पीस मिशन’ का शांति मार्च, अलका लांबा ने किया शुभारंभ

    10/13/2025 5:05:29 PM
    नई दिल्ली
  • दास्तान-ए-गुरू दत्त : सिनेमा जगत के दिग्गजों को संगीतमय श्रद्धांजलि

    10/13/2025 4:24:11 PM
    नई दिल्ली
  • मेरा युवा भारत दक्षिणी दिल्ली ने आयोजित की ब्लॉक स्तरीय खेल प्रतियोगिता

    10/13/2025 4:20:58 PM
    नई दिल्ली
  • “मेरा युवा भारत” ने जगाई खेल भावना, ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिता सफलतापूर्वक संपन्न

    10/13/2025 3:46:04 PM
    नई दिल्ली
  • विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप का सफलतापूर्वक आयोजन, भारत को मिला वैश्विक स्थान

    10/7/2025 8:22:10 PM
    नई दिल्ली
  • इंडियन ऑयल वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उतरेंगे 100 पेरिस पैरा ओलंपिक मेडलिस्ट

    9/14/2025 10:47:04 PM
    नई दिल्ली
  • प्रो कबड्डी सीजन 11 मे शुभम शिंदे करेंगे पटना पाइरेट्स की कप्तानी, अंकित होंगे सह-कप्तान

    10/14/2024 5:17:49 PM
    नई दिल्ली
  • बैडमिंटन ब्रांड विक्टर रैकेट्स ने भारतीय बाजार में अपना पहला ब्रांड शोरूम लांच किया 

    4/17/2024 8:00:49 AM
    नई दिल्ली
  • चार साल बाद हुई दबंग दिल्ली केसी की ‘घर वापसी’, 'दबंगों का घर' फतह करने को तैयार

    2/2/2024 11:20:06 AM
    नई दिल्ली
  • आकाश डिजिटल ने JEE और NEET की परीक्षा तैयारियों में बाधाओं को तोड़ स्थापित किये नए कीर्तिमान

    3/19/2025 11:05:45 PM
    नई दिल्ली
  • महिला उद्यमियों को सस्टेनेबिलिटी में नई उड़ान; स्टेप करेगा DU में 'अनपॉल्यूट 2024' सम्मेलन 

    9/29/2024 7:45:41 PM
    नई दिल्ली
  • क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (स्थिरता) में पहले स्थान पर पहुंचा डीयू: कुलपति

    4/20/2024 2:26:59 PM
    नई दिल्ली
  • रुस एजुकेशन ने नई दिल्ली में भारत-रूसी शिक्षा शिखर सम्मेलन 2024 का आयोजन 

    4/13/2024 6:34:33 PM
    नई दिल्ली
  • केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने छात्राओं को दिया ‘विकसित भारत, सशक्त नारी’ का मंत्र

    3/9/2024 8:17:30 PM
    नई दिल्ली
shopping
Socialism
DailyNewsOnline.in

इस न्यूज पोर्टल की पहचान विश्वसनीय और निष्पक्ष पत्रकारिता की होगी। हम सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों को वेब मीडिया के माध्यम से पाठकों के बीच उठाएंगे।

Get top news on your inbox
popular tags
  • Business
  • State
  • Sports
  • Entertainment
  • Career
  • Religion
  • LifeStyle
  • Admission
  • Rail
  • Health
  • Technology
  • Jobs
Group Sites
  • Subhumi.Com

    Subhumi is an multilinguel (Hindi/English) website containing the datas about the different places
  • Belsand.Com

    A Regional News Site in Hindi to provide insight activity of local places.
  • Tracker

    A Site Where one can track the Mobile number and Area Pin Code
  • Home
  • Business
  • Technology
  • Travel
  • Fashion
  • Horoscope
  • Dharm Sansad
  • Contact
© 2016 Dailynewsonline.in - ALL RIGHTS RESERVED