मायाजाल के फेर में पार्टियां
By: Dilip Kumar
10/17/2018 1:36:41 AM
बिहार जदयू ने चर्चित प्रशांत किशोर को राष्टï्रीय उपाध्यक्ष बनाकर जमीनी नेताओं को नकारने की अपनी रणनीति को आगे बढ़ाया है। आज चुनाव जनता के जुड़ाव से नहीं हवा से जीतने में राजनेता भरोसा करने लगे हैं। तरह-तरह के फेक खबरों को बनाकर जनता को दिग्भ्रमित कर उन्हें मानसिक गुलाम बनाकर सिर्फ और सिर्फ चुनाव जीतने में राजनेता भरोसा करते हैं। चाहे नरेंद्र मोदी हो राहुल गांधी या अरविंद केजरीवाल। हर तरफ एक ही बहार है। कौन सी खबर सही कौन सी खबर गलत है पहचानना मुश्किल है। इसी को लेकर हमारे टेलीविजन के मित्र वायरल सच जैसे एपिसोड बना रहे हैं।
जनता को भरोसा दिलाते हैं कि यह खबर असली है या नकली। कुछ दिनों पहले एक ऐसी खबर दक्षिणि दिल्ली के सांसद रमेश बिधूरी के हवाले से चली कि वे दिल्ली से बिहार से आए लोगों को भगाना चाहते हैं। उस खबर के अनुसार बिहारियों से काम कराना चाहिए और मारपीट कर भगा देना चाहिए। बाद में वायरल सच के माध्यम से उसे टेलीविजन के मित्रों ने इसे झुठलाया और कहा कि यह खबर फेक है। कुछ दिनों पहले पूर्व राष्टï्रपति प्रणब मुखर्जी को संघ से बुलावा आया था कि वे कार्यक्रम में शामिल हो और अपनी बात रखें। इसको लेकर काफी घमासान भी मचा था।
इसी घमासान में प्रणब दा की बेटी ने अपने पिता को सलाह दी थी कि वे संघ के कार्यक्रम में न जाए। क्योंकि फेक न्यूज के दौर में आप कुछ और बनकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएंगे। उनकी बेटी की बात सच साबित हुई। संघ के कार्यक्रम से बाहर निकलते ही वे संघ की वेशभूषा में इंटरनेट के वल्र्ड में दर्ज हो गए। ऐसे कई मामले सामने आते ही रहते हैं। प्रशांत किशोर एक पढ़े लिखे अनुभवी युवा हैं। नीतीश कुमार ने उनको एक महत्वपूर्ण पद से नवाजा है। ऐसा नहीं है कि जदयू ने पहली बार ऐसा किया है। इससे पहले वे केसी त्यागी और आरसीपी सिंह को पार्टी में मजबूत ओहदा दिया है। अगर जमीनी हकीकत को जाने तो ये दोनों नेता जमीन पर कहीं भी नहीं टिकते हैं। दोनों प्रबुद्ध हैं लेकिन उनकी अपनी जमीन ही नहीं है।
बिना जनाधार वाले नेताओं को पार्टी देवदूत के रुप देखती है। सिर्फ और सिर्फ नीतीश बाबू की सुशासन बाबू की छवि पर जदयू अपनी राजनीति चमकाती रही है। लेकिन विगत कुछ महीनों की बात करे तो बिहार में जंगलराज रिटर्न की धमक सुनाई पडऩे लगी है। ऐसा कोई दिन नहीं बीतता जिस दिन सूबे में ५ मर्डर ना हो। बैंक डकैती, बलात्कार, मॉब लिंचिंग की घटनाएं आम हो गई है। लालूराज को नजदीक से देखने वालों की मानें तो जंगलराज वन में हत्या कम किडनैपिंग ज्यादा होती थी। लेकिन बिहार में आज किडनैपिंग,धमकी,हत्या आम हो गई। विधायकों तक को धमकियां मिल रही है। ऐसे में नीतीश बाबू की साफ-सुथरी कमीज पर दाग लगने लगे हैं।
चुनाव में जनता के मन को इटरनेट रुपी चुनावी प्रबंधन से मोह लेने से आप जनता के दिलों में घर नहीं बना सकते। सम्मोहन विद्या कुछ पलों के लिए हो सकता है। बाकी जमीन ही काम आती है। इस दौर में नीतीश कुमार ही नहीं सभी दल के राजनेता शामिल है। लेकिन अभी तक यह सिर्फ पर्दे के पीछे से होता था लेकिन इस प्रकार के चुनावी प्र्रबंधक सामने आएंगे तो जनता से जुड़ाव वाले नेता पीछे धकेले ही जाएंगे। कुछ ऐसे ही आरोपी यूपी चुनाव के दौर में प्रशांत किशोर पर लगे थे जिसमें नेताओं में उनके कामकाज के स्टाइल को अच्छा नहीं माना था।
ऐसे लोग पार्टी के साथ जुड़े उनका स्वागत होना चाहिए लेकिन पार्टी सिर्फ सम्मोहन विद्या से नहीं चलती। पिछले चुनाव में महागठबंधन की तरफ से नारा दिया गया था कि 'बिहार में बहार,नीतीशे कुमार होÓ। आज के हालात को देखकर तो ऐसा नहीं दिखता है। चारो तरफ लूटपाट,हत्या,बलात्कार जैसे मामले सामने आ रहे हैं। कुछ जनता से जुड़े हुए नेताओं का मानना है कि अगर आप सरकार को भ्रष्टïाचार के तरफ ध्यान आकृष्टï कराएंगे तो आप भी लपेटे में पड़ जाएंगे। आपको सरकार के नुमाइंदे यानि अधिकारी आपको जेल की हवा खिलाकर ही मानेंगे। ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। शेल्टर हाउस मामला भी दबने के करीब पहुंच गया है। कुछ दिनों पहले तक मीडिया की सुर्खियां बनी खबरें आज कहीं खो सी गई है। क्योंकि बिहार में बहार है नीतिशे कुमार हो।